शर्मा जी शर्म करो
थोड़ा तो धैर्य धरो
आज ही तो
बेटा बना है कलेक्टर
आज ही थोड़ी
लूट लो गे सबका घर
ऊपर वाले से जरा डरो
शर्मा जी शर्म करो
अरे काफी कमाएगा
है सरकारी नौकरी
सुना कवारी है
मिनिस्टर की छोकरी
दहेज़ demand तोडा नरम करो
शर्मा जी शर्म करो
सुना है पोस्टिंग
बीकानेर में है
वहां का भी कानून
अंधेर में है
कुछ तो अच्छे करम करो
शर्मा जी शर्म करो
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
ऐसे भी तो दिन आयेंगे
ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन हँसती रातें...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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कभी समय के साथ जो चलकर भूल गया मैं मुस्काना मेरी कविताओं फिर तुम भी धू-धू कर के जल जाना बहुत देर से चलता आया बिन सिसकी बिन आहों के आज अगर ...
1 comment:
This one was cool, but unfortunately there are so manky kinds of Sharma ji's in India. hey do follow the following
http://drvirus001.blogspot.com/
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