Thursday, March 11, 2010

कुछ ने कहा है चाँद

कुछ ने कहा है चाँद कुछ ने तुझे हूर कहा है
शायरों ने तेरे हुस्न पे कुछ न कुछ जुरूर कहा है

जिस जिस पर पड़ गयी कातिल तेरी नज़र
झुक झुक कर उसने तुझे बारहां हुजूर कहा है

एक हम ही हैं अकेले शायर सारे शेहेर में
जिसने तुझे एय साकी हंसकर मुग्रूर कहा है

कहते हैं अदा जिसे वो अपने शेरों में
आकर देख इधर हमने उसे बस गुरूर कहा है

उसके आगे एय साकी तेरा हुस्न कुछ नहीं
जिस शख्स को हमने अपनी आँखों का नूर कहा है

1 comment:

Randhir Singh Suman said...

कुछ ने कहा है चाँद कुछ ने तुझे हूर कहा है
शायरों ने तेरे हुस्न पे कुछ न कुछ जुरूर कहा है.nice

ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...