Friday, September 23, 2011

तो क्या करिए

कितने ही ख्वाब अधूरे देखे
कितने ही वादे टूट गए
जब खुद से खुद को शिकायत हो
तो झूठी बातें क्या करिए

पुर जोर चली पुरवाई जब
हम तन्हा तन्हा जागे
जब दीवारों से बातें होने लगीं
तो रिश्ते नाते क्या करिए

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ऐसे भी तो दिन आयेंगे

 ऐसे भी तो दिन आयेंगे, बिलकुल तनहा कर जाएँगे रोयेंगे हम गिर जाएँगे, ख़ामोशी में पछतायेंगे याद करेंगे बीती बातें ख़ुशियों के दिन  हँसती रातें...